स्वाइन
फ्लू का कारण,लक्षण,बचाव
(जनहित में प्रसारित)
स्वाइन
फ्लू एक बार फिर देश में पांव पसार रहा है। फ्लू से डरने के बजाय
जरूरत इसके लक्षणों के बारे में जानने और सावधानी बरतने की है। आइए जानें स्वाइन फ्लू से
सेफ्टी के तमाम पहलुओं के बारे में :
एक्सपर्ट्स पैनल
डॉ. सुशील कौल, सीनियर कंसल्टेंट, कोलंबिया एशिया
हॉस्पिटल
डॉ. चंदन केदावट, सीनियर कंसल्टेंट, पीएसआरआई हॉस्पिटल
डॉ. सुशील वत्स, सीनियर होम्योपैथ
डॉ. एल. के. त्रिपाठी, आयुर्वेद विशेषज्ञ
डॉ. सुरक्षित गोस्वामी, योगाचार्य
1.एलोपैथी-
क्या है स्वाइन फ्लू
स्वाइन फ्लू श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारी है, जो ए टाइप के
इनफ्लुएंजा वायरस से होती है। यह वायरस एच1 एन1 के नाम से जाना
जाता है और मौसमी फ्लू में भी यह वायरस
सक्रिय होता है। 2009 में जो स्वाइन फ्लू हुआ था, उसके मुकाबले इस बार का
स्वाइन फ्लू कम पावरफुल है, हालांकि उसके
वायरस ने इस बार स्ट्रेन बदल लिया है यानी पिछली बार के वायरस से इस बार
का वायरस अलग है।
कैसे फैलता है
जब आप खांसते या छींकते हैं तो हवा में या
जमीन पर या जिस भी सतह पर थूक या मुंह और नाक से निकले द्रव कण गिरते हैं, वह वायरस की चपेट
में आ जाता है। यह कण हवा के द्वारा या किसी के छूने
से दूसरे व्यक्ति के शरीर में मुंह या नाक के जरिए प्रवेश कर जाते हैं। मसलन, दरवाजे, फोन, कीबोर्ड या रिमोट
कंट्रोल के जरिए भी यह वायरस फैल सकते
हैं, अगर इन चीजों का इस्तेमाल किसी संक्रमित व्यक्ति ने किया हो।
शुरुआती लक्षण
- नाक का लगातार
बहना, छींक आना, नाक जाम होना।
- मांसपेशियां में दर्द या अकड़न महसूस करना।
- सिर में भयानक दर्द।
- कफ और कोल्ड, लगातार खांसी आना।
- उनींदे रहना, बहुत ज्यादा थकान
महसूस होना।
- बुखार होना, दवा खाने के बाद
भी बुखार का लगातार बढ़ना।
- गले में खराश होना और इसका लगातार बढ़ते जाना।
नॉर्मल फ्लू से कैसे अलग
सामान्य फ्लू और स्वाइन फ्लू के वायरस में एक फर्क होता है।
स्वाइन फ्लू के वायरस में चिड़ियों, सूअरों और इंसानों
में पाया जाने वाला जेनेटिक मटीरियल भी होता
है। सामान्य फ्लू और स्वाइन फ्लू के लक्षण एक जैसे ही होते हैं, लेकिन स्वाइन फ्लू
में यह देखा जाता है कि जुकाम बहुत तेज होता है। नाक ज्यादा बहती
है। पीसीआर टेस्ट के माध्यम से ही यह पता चलता है कि किसी को स्वाइन फ्लू
है। स्वाइन फ्लू होने के पहले 48 घंटों के भीतर
इलाज शुरू हो जाना चाहिए। पांच दिन का इलाज होता है, जिसमें मरीज को
टेमीफ्लू दी जाती है।
कब तक रहता है वायरस
एच1एन1 वायरस स्टील, प्लास्टिक में 24 से 48 घंटे, कपड़े और पेपर में
8 से 12 घंटे, टिश्यू पेपर में 15 मिनट और हाथों में
30 मिनट तक एक्टिव
रहते हैं। इन्हें खत्म करने के लिए डिटर्जेंट, एल्कॉहॉल, ब्लीच या साबुन का
इस्तेमाल कर सकते हैं। किसी भी मरीज में बीमारी के लक्षण इन्फेक्शन के बाद 1 से 7 दिन में डिवेलप हो सकते
हैं। लक्षण दिखने के 24 घंटे पहले और 8 दिन बाद तक किसी
और में वायरस के ट्रांसमिशन का खतरा रहता है।
चिंता की बात
इस बीमारी से लड़ने के लिए सबसे जरूरी है दिमाग से डर को
निकालना। ज्यादातर मामलों में वायरस के लक्षण कमजोर ही दिखते हैं।
जिन लोगों को स्वाइन फ्लू हो भी जाता है, वे इलाज के जरिए
सात दिन में ठीक हो जाते हैं। कुछ लोगों को तो
अस्पताल में एडमिट भी नहीं होना पड़ता और घर पर ही सामान्य बुखार की दवा और
आराम से ठीक हो जाते हैं। कई बार तो यह ठीक भी हो जाता है और मरीज को पता भी
नहीं चलता कि उसे स्वाइन फ्लू था। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट बताती है
कि जिन लोगों का स्वाइन फ्लू टेस्ट पॉजिटिव आता है, उनमें से इलाज के दौरान
मरने वालों की संफ्या केवल 0.4 फीसदी ही है। यानी
एक हजार लोगों में चार लोग। इनमें भी ज्यादातर केस ऐसे होते
हैं, जिनमें पेशंट पहले से ही हार्ट
या किसी दूसरी बीमारी की गिरफ्त में होते हैं या फिर उन्हें बहुत देर
से इलाज के लिए लाया गया होता है।
यह रहें सावधान
5 साल से कम उम्र के
बच्चे, 65 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग और गर्भवती महिलाएं। जिन
लोगों को निम्न में से कोई बीमारी है, उन्हें अतिरिक्त सावधानी बरतनी
चाहिए :
- फेफड़ों, किडनी या दिल की
बीमारी
- मस्तिष्क संबंधी (न्यूरोलॉजिकल) बीमारी मसलन, पर्किंसन
- कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग
- डायबीटीजं
- ऐसे लोग जिन्हें पिछले 3 साल में कभी भी
अस्थमा की शिकायत रही हो या अभी भी हो। ऐसे लोगों
को फ्लू के शुरुआती लक्षण दिखते ही डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
- गर्भवती महिलाओं का प्रतिरोधक तंत्र (इम्यून सिस्टम) शरीर
में होने वाले हॉरमोन संबंधी बदलावों के कारण कमजोर होता है।
खासतौर पर गर्भावस्था के तीसरे चरण यानी 27वें से 40वें सप्ताह के बीच
उन्हें ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत है।
अकसर पूछे जाने वाले सवाल
- अगर किसी को
स्वाइन फ्लू है और मैं उसके संपर्क में आया हूं, तो क्या करूं?
सामान्य जिंदगी जीते रहें, जब तक फ्लू के
लक्षण नजर नहीं आने लगते। अगर मरीज के संपर्क
में आने के 7 दिनों के अंदर आपमें लक्षण दिखते हैं, तो डॉक्टर से सलाह
करें।
- अगर साथ में रहने वाले किसी शफ्स को स्वाइन फ्लू है, तो क्या मुझे ऑफिस
जाना चाहिए?
हां, आप ऑफिस जा सकते
हैं, मगर आपमें फ्लू का कोई लक्षण दिखता है, तो फौरन डॉक्टर को
दिखाएं और मास्क का इस्तेमाल करें।
- स्वाइन फ्लू होने के कितने दिनों बाद मैं ऑफिस या स्कूल जा
सकता हूं?
अस्पताल वयस्कों को स्वाइन फ्लू के शुरुआती लक्षण दिखने पर
सामान्यत: 5 दिनों तक ऑब्जर्वेशन में रखते हैं। बच्चों के मामले में 7 से 10 दिनों तक इंतजार करने को
कहा जाता है। सामान्य परिस्थितियों में व्यक्ति को 7 से 10 दिन तक रेस्ट करना
चाहिए, ताकि ठीक से रिकवरी हो सके। जब तक फ्लू के सारे लक्षण खत्म न हो
जाएं, वर्कप्लेस से दूर रहना ही बेहतर है।
- क्या किसी को दो बार स्वाइन फ्लू हो सकता है?
जब भी शरीर में किसी वायरस की वजह से कोई बीमारी होती है, शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र
उस वायरस के खिलाफ एक प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेता है। जब तक स्वाइन
फ्लू के वायरस में कोई ऐसा बदलाव नहीं आता, जो अभी तक नहीं देखा गया, किसी को दो बार स्वाइन
फ्लू होने की आशंका नहीं रहती। लेकिन इस वक्त फैले
वायरस का स्ट्रेन बदला हुआ है, जिसे हो सकता है
शरीर का प्रतिरोधक तंत्र इसे न पहचानें। ऐसे में दोबारा बीमारी होने
की आशंका हो सकती है।
स्वाइन फ्लू से बचाव और इसका इलाज
स्वाइन फ्लू न हो, इसके लिए क्या
करें?
- साफ-सफाई का ध्यान रखा जाए और फ्लू के शुरुआती लक्षण दिखते
ही सावधानी बरती जाए, तो इस बीमारी के
फैलने के चांस न के बराबर हो जाते हैं।
- जब भी खांसी या छींक आए रूमाल या टिश्यू पेपर यूज करें।
- इस्तेमाल किए मास्क या टिश्यू पेपर को ढक्कन वाले डस्टबिन
में फेंकें।
- थोड़ी-थोड़ी देर में हाथ को साबुन और पानी से धोते रहें।
- लोगों से मिलने पर हाथ मिलाने, गले लगने या चूमने
से बचें।
- फ्लू के शुरुआती लक्षण दिखते ही अपने डॉक्टर से संपर्क
करें।
- अगर फ्लू के लक्षण नजर आते हैं तो दूसरों से 1 मीटर की दूरी पर
रहें।
- फ्लू के लक्षण दिखने पर घर पर रहें। ऑफिस, बाजार, स्कूल न जाएं।
- बिना धुले हाथों से आंख, नाक या मुंह छूने
से परहेज करें।
2.आयुर्वेद-
ऐसे करें बचाव
इनमें से एक समय में एक ही उपाय आजमाएं।
- 4-5 तुलसी के पत्ते, 5 ग्राम अदरक, चुटकी भर काली
मिर्च पाउडर और इतनी ही हल्दी को एक कप
पानी या चाय में उबालकर दिन में दो-तीन बार पिएं।
- गिलोय (अमृता) बेल की डंडी को पानी में उबाल या छानकर पिएं।
- गिलोय सत्व दो रत्ती यानी चौथाई ग्राम पौना गिलास पानी के
साथ लें।
- 5-6 पत्ते तुलसी और काली मिर्च के 2-3 दाने पीसकर चाय में
डालकर दिन में दो-तीन बार पिएं।
- आधा चम्मच हल्दी पौना गिलास दूध में उबालकर पिएं। आधा चम्मच
हल्दी गरम पानी या शहद में मिलाकर भी लिया जा सकता है।
- आधा चम्मच आंवला पाउडर को आधा कप पानी में मिलाकर दिन में
दो बार पिएं। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
स्वाइन फ्लू होने पर क्या करें
यदि स्वाइन फ्लू हो ही जाए तो वैद्य की राय से इनमें से कोई
एक उपाय करें:
- त्रिभुवन कीर्ति रस या गोदंती रस या संजीवनी वटी या भूमि
आंवला लें। यह सभी एंटी-वायरल हैं।
- साधारण बुखार होने पर अग्निकुमार रस की दो गोली दिन में तीन
बार खाने के बाद लें।
- बिल्वादि टैब्लेट दो गोली दिन में तीन बार खाने के बाद लें।
3.होम्योपैथी-
कैसे करें बचाव
फ्लू के शुरुआती लक्षण दिखने पर इन्फ्लुएंजाइनम-200 की चार-पांच
बूंदें, आधी कटोरी पानी में डालकर सुबह-शाम पांच दिन तक लें। इस दवा
को बच्चों समेत सभी लोग ले सकते हैं। मगर डॉक्टरों का कहना है कि फ्लू ज्यादा
बढ़ने पर यह दवा पर्याप्त कारगर नहीं रहती, इसलिए डॉक्टरों से
सलाह कर लें। जिन लोगों को आमतौर पर
जल्दी-जल्दी जुकाम खांसी ज्यादा होता है, अगर वे स्वाइन
फ्लू से बचना चाहते हैं तो सल्फर 200 लें। इससे
इम्यूनिटी बढ़ेगी और स्वाइन फ्लू नहीं होगा।
स्वाइन फ्लू होने पर क्या है इलाज
1: बीमारी के शुरुआती दौर के लिए
जब खांसी-जुकाम व हल्का बुखार महसूस हो रहा हो तब इनमें से
कोई एक दवा डॉक्टर की सलाह से ले सकते हैं:
एकोनाइट (Aconite 30), बेलेडोना (Belladona 30), ब्रायोनिया (Bryonia 30), हर्परसल्फर (Hepursuphur
30), रसटॉक्स (Rhus Tox 30), चार-पांच बूंदें, दिन में तीन से
चार बार।
2: अगर फ्लू के मरीज को उलटियां आ रही हों और डायरिया भी हो तो
नक्स वोमिका (Nux Vomica 30), पल्सेटिला (Pulsatilla 30),
इपिकॉक (Ipecac-30) की चार-पांच
बूंदें, दिन में तीन से चार बार ले सकते हैं।
3: जब मरीज को सांस की तकलीफ ज्यादा हो और फ्लू के दूसरे लक्षण
भी बढ़ रहे हों तो इसे फ्लू की एडवांस्ड स्टेज कहते हैं। इसके
लिए आर्सेनिक एल्बम (Arsenic Album 30) की चार-पांच
बूंदें, दिन में तीन-चार बार लें। यह दवा अस्पताल में
भर्ती व ऐलोपैथिक दवा ले रहे मरीज को भी दे सकते हैं।
4.योग-
शरीर के प्रतिरक्षा और श्वसन तंत्र को मजबूत रखने में योग
मददगार साबित होता है। अगर यहां बताए गए आसन किए जाएं, तो फ्लू से पहले
से ही बचाव करने में मदद मिलती है। स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए रोग
प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले अभ्यास करें:
- कपालभाति, ताड़ासन, महावीरासन, उत्तानपादासन, पवनमुक्तासन, भुजंगासन, मंडूकासन, अनुलोम-विलोम और
उज्जायी प्राणायाम तथा धीरे-धीरे
भस्त्रिका प्राणायाम या दीर्घ श्वसन और ध्यान।
- व्याघ्रासन, यानासन व
सुप्तवज्रासन। यह आसन लीवर को मजबूत करके शरीर में ताकत लाते हैं।
5.डाइट-
- घर का ताजा बना
खाना खाएं। पानी ज्यादा पिएं।
- ताजे फल, हरी सब्जियां
खाएं।
- मौसमी, संतरा, आलूबुखारा, गोल्डन सेव, तरबूज और अनार
अच्छे हैं।
- सभी तरह की दालें खाई जा सकती हैं।
- नींबू-पानी, सोडा व शर्बत, दूध, चाय, सभी फलों के जूस, मट्ठा व लस्सी भी
ले सकते हैं।
- बासी खाना और काफी दिनों से फ्रिज में रखी चीजें न खाएं।
बाहर के खाने से बचें।
मास्क की बात
न पहने मास्क
- मास्क पहनने की जरूरत सिर्फ उन्हें है, जिनमें फ्लू के
लक्षण दिखाई दे रहे हों।
- फ्लू के मरीजों या संदिग्ध मरीजों के संपर्क में आने वाले
लोगों को ही मास्क पहनने की सलाह दी जाती है।
- भीड़ भरी जगहों मसलन, सिनेमा हॉल या
बाजार जाने से पहले सावधानी के लिए मास्क पहन सकते हैं।
- मरीजों की देखभाल करने वाले डॉक्टर, नर्स और हॉस्पिटल
में काम करने वाला दूसरा स्टाफ।
- एयरकंडीशंड ट्रेनों या बसों में सफर करने वाले लोगों को
ऐहतियातन मास्क पहन लेना चाहिए।
कितनी देर करता है काम
- स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए सामान्य मास्क कारगर नहीं होता, लेकिन थ्री लेयर सर्जिकल
मास्क को चार घंटे तक और एन-95 मास्क को आठ घंटे
तक लगाकर रख सकते हैं।
- ट्रिपल लेयर सजिर्कल मास्क लगाने से वायरस से 70 से 80 पर्सेंट तक बचाव
रहता है और एन-95 से 95 पर्सेंट तक बचाव
संभव है।
- वायरस से बचाव में मास्क तभी कारगर होगा जब उसे सही ढंग से
पहना जाए। जब भी मास्क पहनें, तब ऐसे बांधें कि
मुंह और नाक पूरी तरह से ढक जाएं क्योंकि वायरस
साइड से भी अटैक कर सकते हैं।
- एक मास्क चार से छह घंटे से ज्यादा देर तक न इस्तेमाल करें, क्योंकि खुद की
सांस से भी मास्क खराब हो जाता है।
कैसा पहनें
- सिर्फ ट्रिपल लेयर और एन 95 मास्क ही वायरस से
बचाव में कारगर हैं।
- सिंगल लेयर मास्क की 20 परतें लगाकर भी
बचाव नहीं हो सकता।
- मास्क न मिले तो मलमल के साफ कपड़े की चार तहें बनाकर उसे
नाक और मुंह पर बांधें। सस्ता व सुलभ साधन है। इसे धोकर दोबारा भी
इस्तेमाल किया जा सकता है।
ध्यान रखें कि
- जब तक आपके आस-पास कोई मरीज या संदिग्ध मरीज नहीं है, तब तक मास्क न
लगाएं।
- अगर मास्क को सही तरीके से नष्ट न किया जाए या उसका
इस्तेमाल एक से ज्यादा बार किया जाए तो स्वाइन फ्लू फैलने का खतरा और
ज्यादा होता है।
- खांसी या जुकाम होने पर मास्क जरूर पहनें।
- मास्क को बहुत ज्यादा टाइट पहनने से यह थूक के कारण गीला हो
सकता है।
- अगर यात्रा के दौरान लोग मास्क पहनना चाहें तो यह सुनिश्चित
कर लें कि मास्क एकदम सूखा हो। अपने मास्क को बैग में रखें और अधिकतम
चार बार यूज करने के बाद इसे बदल दें।
कीमत
- थ्री लेयर सजिर्कल मास्क : 10 से 12 रुपये
- एन-95 : 100 से 150 रुपये
जनहित में प्रसारित
(thank you very much navbharattimes.indiatimes.com)
Note-यह लेख केवल रोग
से सम्बन्ध में जागरूकता के लिए है कोई भी निर्णय लेने से पहले अपने चिकित्सक से
राय लें l